धान में बाली निकलने के बाद तना छेदक किट लगे तो इन किटनाशक दवाई छिड़काव करें।

खेती किसानी

धान में बाली निकलने के बाद तना छेदक किट का नियंत्रण 

तना छेदक किट का प्रमुख लक्षण

धान की बाली का पूर्णतः सुख जाना और धान का पौधा का हरा- भरा ही रहना। क्योंकि तना छेदक किट धान के तने के अंदर छेद करके घुस जाता है और अंदर का नरम तना को खाता है, जिसके कारण तने में बड़ा सा छेद हो जाता है। इसके फलस्वरूप पौधे उस तने में ऊपर की ओर पानी नहीं खिच पाता, जिसके कारण उस तने का संपर्क पौधे से खत्म हो जाता है और पीला पड़कर सुख जाता है। जब तना छेदक का यह अटैक जस्ट फूल आने के बाद और दोनों में दूध भरने के बीच में होता है तो पुरी बाली बिना दानों के ही सुख जाता है। यह बाली चांदी रंग का दिखता है इसलिए इसे सिल्वर शूट भी कहते हैं।

धान में फूल आने के बाद तना छेदक के लिए सही किटनाशक 

चूंकि तना छेदक किट का अटैक धान के फसल में शुरू से अंतिम तक होते रहता है मतलब नर्सरी अवस्था से फसल बाली निकलने तक। लेकिन पौधों का अलग-अलग अवस्था में अलग-अलग प्रभावशाली होतें हैं।

तना कछेड़क किट का अटैक पौधों में लगभग पौधों के आधी ऊंचाई पर ज्यादा होता है। धान का फसल जब कम दिवस का होता है टब ऊंचाई भी कम होता है, हम फसल में अच्छे से दवाई डाल सकतें हैं वहीं जब पौधे ज्यादा अवधि (पुष्पन) अवस्था में आ जाता है तब धान की ऊंचाई के साथ फसल सघनता भी बढ़ जाता है। इस कारण इस अवस्था में पूरे पौधे पर दवाई का छिड़काव करने में परेशानी होती है।

इस कारण इस अवस्था में गैस बनाने वाली किटनाशक दवाई का प्रयोग करना ज्यादा उचित होता है क्योंकि यह दवा गैस के रूप में तना छेदक किट के संपर्क में आकार उसे मारता है। इन दवाई को स्प्रे भी कर सकतें है या रेत आदि में मिलाकर छिड़काव भी कर सकतें हैं।

ऊंची किस्मों के धान के लिए बाली अवस्था के लिए किटनाशक दवाई

Cartap Hydrochlorid 50 WP – 400 ग्राम प्रति एकड़

Chlorantraniliprol 0.4 G – 4 kg प्रति एकड़

Imidachloprid 0.3 G – 6 kg प्रति एकड़

Fipronil 0.3 G – 10 केजी प्रति एकड़

बौनी  किस्मों के धान के लिए बाली अवस्था के लिए किटनाशक दवाई

जिस धान का बाली अवस्था में भी ऊंचाई कम हो, आसानी से पूरे पौधे पर स्प्रैयर से किटनाशक  दवाई छिड़काव किया जा सकता हो उसके लिए ऊपरोक्त दानेदार गैस बनाने वाली दवाई भी उपयोग कर सकतें हैं या निम्न सिस्टेमिक किटनाशक दवाई भी छिड़काव कर सकतें हैं।

Thiachloprid 21.7 SC – 200 ml प्रति एकड़

Quinalphos 25 EC – 400 ml प्रति एकड़

Phosphamidon 40 SL -250 ml प्रति एकड़

Chlorantraniliprol 18.5 SC – 50-60 ml प्रति एकड़

नोट – ऊपरोक्त दवाई का नाम किटनाशक फार्मूला (रासायनिक नाम) है।ऊपरोक्त में से कोई एक दवाई लें। अगर इनमें से कोई दवाई पहले उस खेत में उपयोग किएन हों तो दूसरा फार्मूला लें।  बाजार में यह अलग अलग बाजार नाम (Trade Name) से मिलता है। अच्छी और फेमस कंपनी का दवाई लें। लोकल कंपनी का दवाई का गुणवत्ता ज्यादा अच्छा नहीं रहता, इस कारण अच्छे से काम नहीं करता।

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