लूसर्न (Alfa Alfa) की खेती । इस चारे वाली फसल से साल भर हरा चारा प्राप्त होती रहती है।

खेती किसानी

लूसर्न (Alfa Alfa) की खेती 

इसे रिजका और मेथी वाला चारा भी कहते हैं, क्योंकि इसकी पत्तियां मेथी जैसी होती है। लूसर्न का चारा पौष्टिक एवं पाचक होता है। सभी प्रकार के पशु अर्थात दुधारू एवं भारवाहक पशु इसे पसन्द करते हैं। इसमें 15 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन तथा पाचकता 72 प्रतिशत होती है।

लूसर्न की खेती के लिए मृदा एवं उसकी तैयारी

गहरी तथा अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ मृदा रिजका उत्पादन के लिये अच्छी मानी जाती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद की दो जुताई हैरो से करके पाटा लगा कर खेत समतल कर लेना चाहिये। जल निकास का विशेष ध्यान रखना चाहिये। बुवाई का समय लूसर्न को बोने का उचित समय मध्य अक्टूबर से नवम्बर का प्रथम सप्ताह अच्छा होता है।

लूसर्न उन्नत किस्में

आनन्द लूसर्न-2, आनन्द लूसर्न-3, आर.एल.-88 (बहुवर्षीय), चेतक, कृष्णा ।

लूसर्न के लिए बीज दर एवं बुवाई विधि

छिड़काव विधि द्वारा लूसर्न लगाने पर 20-25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बीज दर की आवश्यकता होती है। जबकि लाइन विधि द्वारा बुवाई करने पर 12-15 कि.ग्रा. बीज दर की आवश्यकता पड़ती है। कतार विधि द्वारा बुवाई करने के लिये 30 से.मी. पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर बुवाई करनी चाहिये।

लूसर्न में खाद एवं उर्वरक

दलहनी फसल होने के कारण जड़ों द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु द्वारा होता है। जिस भूमि में प्रथम बार रिजका की बुवाई हो रही है, वहां बीज उपचार राइजोबियम मेलिलोटाई से करने पर फसल प्रदर्शन अधिक अच्छा होता है। बहुवर्षीय किस्मों में 20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर खाद प्रति वर्ष डालना
चित होता है। रिजका हेतु 20 कि.ग्रा. नत्रजन एवं 60 से 70 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय डालना चाहिये।

लूसर्न में सिंचाई

अच्छे अंकुरण के लिये बुवाई के पहले सिंचाई (पलेवा) करना अच्छा होता है। पहली सिंचाई बुवाई के एक माह पश्चात करनी चाहिये। बाद की सिंचाई मौसम एवं भूमि में नमी के अनुरूप 10-15 दिनों से 20-25 दिनों के अन्तराल पर करनी चाहिये। लूसर्न में पानी का निकास अच्छा होना चाहिये। कटाई के पश्चात 2-3 सिंचाई अगली चारा कटाई से पहले करने पर उत्पादन अच्छा होता है।

लूसर्न की कटाई

पहली कटाई बुवाई के 55 से 65 दिनों बाद करनी चाहिये। बाद की कटाई 25 से 30 दिनों के अन्तराल पर करें। एकवर्षीय लूसर्न 3 5 कटाई एवं बहुवर्षीय 6 से 7 कटाई वर्ष में देती है।

लूसर्न का उपज

हरे चारे साल की लगभग 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

पशुओं के विकास एवं दुग्ध भर हरे चारे के उत्पादन हेतु फसल उत्पादन के लिये आवश्यक है कि पशुओं को पौष्टिक चारा व सन्तुलित आहार साल भर मिलता रहे। वर्ष के कुछ महीनों में जैसे- अक्टूबर-नवम्बर व मई-जून में हरे चारे की कमी आ जाने के कारण हम पशुओं को हरा चारा पूर्ण मात्रा में नहीं दे पाते हैं। जिससे पशुओं के स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन दोनों में कमी आती है।

इसलिए उचित फसल-चक्र अपनाकर साल भर हरा चारा की प्राप्ति की जा सकती है। फसल-चक्र में दलहनी एवं अदलहनी फसलों का समावेश होना चाहिये। फसल-चक्र में आधे भाग में बहुवर्षीय फसलों के साथ आधे भाग में दलहनी एवं अदलहनी मौसमी फसलों का समावेश किया जाना अच्छा रहता है ताकि वर्ष भर हरा चारा प्राप्त किया जा सके। साल भर हरा चारा प्राप्त करने हेतु सिंचाई का महत्व अधिक है।

भूमि का चयन गौशाला एवं डेयरी यूनिट के पास करना चाहिये ताकि चारा दुलाई का व्यय कम किया जा सके। बहुवर्षीय फसलों जैसे- नेपियर घास, बहुवर्षीय ज्वार आदि को मेड़ों पर भी लगाया जा सकता है।

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