धान की उन्नत खेती गर्मी हेतु छतीसगढ़ के किसान भाइयों के लिए उचित सलाह । Best of 2023

धान के विपुल उत्पादन हेतु धान की उन्नत खेती उन्नत कृषि सलाह

1. खेत की तैयारी

गर्मी में उपयुक्त समय पर यथा संभव खेत का एक या दो बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करें। बुआई के पहले 200 से 250 क्विंटल अच्छी तरह सड़ी हुयी गोबर की खाद या कम्पोस्ट 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड के हिसाब से डालें। यदि प्रतिवर्ष संभव न हो तो हर दूसरे या तीसरे वर्ष में अवश्य डालें।

Table of Contents

धान की उन्नत खेती
यह नुजीवउडू कंपनी का संपदा धान है ।

2. स्वस्थ बीज का चुनाव एवं बीजोपचार

किसी भी फसल से अधिक उत्पादन लेने के लिए बीज की गुणवत्ता एवं किस्म का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक तीन वर्ष में बीज एक बार जरूर बदलें क्योंकि तीसरे वर्ष तक 64 प्रतिशत बीज अशुद्ध हो जाते हैं। बीज बदल देने से उपज में 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। बीज बदलने का सबसे सरल और सस्ता तरीका है कि प्रत्येक वर्ष अपनी कुल जमीन के दसवें हिस्से में प्रमाणित बीज लगायें ।

हमेशा स्वस्थ और मजबूत बीज की बुआई करें, जिसमें अंकुर को शुरूआती 10 दिनों तक भोजन उपलब्ध कराने की क्षमता हो । पुष्ट बीज का चयन करने के लिये बीज को 17 प्रतिशत नमक घोल (100 लीटर पानी में 17 किलो नमक की मात्रा) में डुबायें एवं उपर तैर रहे अस्वस्थ एवं हल्के (मठबदरा) दाने को अलग करके नीचे बैठे पुष्ट बीज को साफ पानी में 1 से 2 बार धोकर छाया में सुखायें।

इसके बाद 2 ग्राम कार्बन्डाजिम / मेन्कोजेब अथवा 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा जैविक फफूंदनाशक प्रति किलो धान बीज की मात्रा को उपचार करके बुआई करें। साथ ही साथ जैविक कल्चर (एजोस्पाइरिलम एवं पी.एस. बी. कल्चर ) 5-10 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें।

3. धान की उन्नत खेती हेतु किस्म का चुनाव

भूमि के प्रकार और उपलब्ध सिंचाई सुविधा को ध्यान में रखते हुये धान के किस्मों की सिफारिश निम्नानुसार है:-

(स्रोत: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा प्रकाशित कृषि दर्शिका से आभार)

भूमि के प्रकार के अनुसार धान की उन्नत किस्मों
का चयन

(1) भाटा एवं मटासी भूमि हेतु

असिंचित उच्च भूमि:- कलिंगा 3, आदित्य, दन्तेश्वरी, पूर्णिमा, सम्लेश्वरी, सहभागी धान-1, इंदिरा बरानी धान-1

(2) डोरसा एवं कन्हार भूमि हेतु

असिंचित मध्य भूमिः- सम्लेश्वरी, इंदिरा बरानी धान-1, आई. आर. 64 – डी. आर. टी – 1 ( डी. आर. आर. 42 ), एम.टी.यू 1010, चन्द्रहासिनी, इंदिरा राजेश्वरी, दुर्गेश्वरी, कर्मा मासुरी, महामाया, महेश्वरी

(3) कन्हार एवं बहरा भूमि हेतु

असिंचित निचली भूमि:- चन्द्रहासिनी, इंदिरा राजेश्वरी, दुर्गेश्वरी, महामाया, कर्मा मासुरी, इंदिरा सुगंधित धान-1, महेश्वरी, एम.टी.यू-1001, बम्लेश्वरी, सम्पदा, जलदूबी, स्वर्णा, स्वर्णा सब-1

(4) सभी प्रकार के सिंचित भूमि हेतु

सम्लेश्वरी, चन्द्रहासिनी, कर्मा मासुरी, इंदिरा राजेश्वरी, दुर्गेश्वरी, महेश्वरी, इंदिरा सुगंधित धान-1, स्वर्णा सब-1, उन्नत सांबा मासुरी, पी.के.वी. एच.एम.टी., आई.आर.-36, आई. आर. 64, बम्लेश्वरी, महामाया, एम.टी.यू.1010, एम.टी.यू 1001, स्वर्णा

संकर किस्में:- संकर धान की उन्नत किस्में – इंदिरा सोना, डी. आर. आर. एच. 2, अजय, के.आर.एच. -3, एराइज 6444 गोल्ड, सहयाद्री के.आर.एच – 2, के.आर.एच 4, जवाहर राइस हाइब्रिड – 5, पी. आर. एच. – 10, जेकेआरएच-3333, यूएस – 312, यूएस- 382, एराइज तेज (एच.आर.आई 169), डीआरएच- 775, वीएनआर-204।

4. बुआई करने का उपयुक्त समय:-

बारिश शुरू होने पर मिट्टी में 15-20 से.मी. गहराई (हाथ का एक बीता के बराबर) तक पर्याप्त नमी हो जाने पर छिड़काव विधि या कतार बोनी विधि से बुआई करें। रोपा विधि के लिये सिंचाई सुविधा होने पर थरहा की बुआई जून के पहले सप्ताह में करें।

 5. बुआई की विधि:-

धान की बुआई हेतू विभिन्न प्रकार की विधियाँ अपनाई जाती है:- जैसे – खुर्रा बोनी, बियासी, कतार बोनी, रोपा पद्धति, एस. आर.आई पद्धति एवं लेही (लाई-चोपी) आदि ।

अ- उन्नत खुर्रा बुआई विधि (कतार में)

खेत की अकरस जुताई के बाद जून के पहले अथवा दुसरे सप्ताह में नवगांव नारी हल या इंदिरा सीड ड्रिल या ट्रैक्टर चलित सीड ड्रिल द्वारा कतारों में 20-22 से.मी. से अंतर से कम गहराई में बुआई करें।

इसके लिये बुआई के 3 दिनों के अंदर नींदानशक जैसे पेन्डीमेथिलिन या ब्यूटाक्लोर 1.2 लीटर या पाइराजोसल्फयुरान इथाइल 80.00 ग्राम प्रति एकड़ 200 ली. पानी में घोलकर मिट्टी की सतह पर छिड़काव करें। यदि पानी उपलब्ध न हो तो इन नींदानाशकों कों 1-2 धमेला सूखी रेत में मिलाकर एक एकड़ खेत में समान रूप से बिखेर दें, नींदानाशक के उपयोग के समय जमीन में पर्याप्त नमी होना जरूरी है।

ब- उन्नत बियासी:

खेत तैयार होने के बाद एक एकड में 40 कि.ग्रा. उपचारित बीज की बुआई करें तथा दतारी चलाकर मिट्टी को मिला दें। खेत के एक कोने में दुगुना बीज डालें। बुआई के 25 से 30 दिन के अंदर में बियासी करें। बियासी करने के लिये संकरे फाल वाले हल का उपयोग करें। बियासी के 3 दिन के अंदर सधन चलाई करें।

स- रोपा विधि:

रोपाई किये जाने वाले खेत के दसवें हिस्से में थरहा तैयार करें। इसके लिये खेत की मिट्टी को अच्छी भुरभुरी करके एक मीटर चौड़ाई और 10 मी. लम्बाई की उँची उठी हुई रोपणीयाँ तैयार कर 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट अच्छी तरह प्रत्येक रोपणी में मिला दें और 400 ग्राम बारीक धान या 500 ग्राम मोटे धान की बुआई करें। पौधों की बढ़वार के समय रोपणी में 300 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 70 से 150 ग्राम यूरिया का छिड़काव करें।

थरहा की उम्र 20 से 21 दिन की होने पर खेत को अच्छी तरह मचाकर रोपाई करें। इसी समय स्फुर तथा पोटाश खाद की पूरी मात्रा आधार खाद के रूप में दें। रोपाई से पहले धान के थरहा को क्लोरोपाइरीफॉस कीटनाशक द्वारा जड़ उपचार करें। एक एकड़ थरहा उपचार के लिये 10 फुट लंबा 2.5 फुट चौड़ा और 6 इंच गहरा गढ्ढा खोदकर उसमें पालीथीन बिछायें।

गढ़ढे में करीब 180ली. पानी भरें 12 किलो यूरिया को 10ली. पानी में घोलकर गढ्ढे में डालें। दवा के इस घोल में थरहा की जड़ को 3-5 घंटे डुबो कर रखें और उपचारित थरहा की रोपाई जल्दी करें। शीघ्र पकने वाली किस्मों में कतारों और पौधों की दूरी 15×10 से.मी. और मध्यम अवधि वाले किस्मों के लिये कतारों और पौधों की दूरी 20×15 से.मी. तथा देर से पकने वाली किस्मों के लिये 25×20 से.मी. रखें। प्रत्येक तीन मीटर की दूरी पर 30 से.मी. निरिक्षण पथ छोड़ें ।

महत्वपूर्ण टीप:-

खाद की मात्रा ज्ञात करना:- नत्रजन की प्रतिशत मात्रा को 2.17 गुणा करने पर यूरिया की मात्रा, स्फूर की प्रतिशत मात्रा को 6.25 से गुणा करने पर सिंगल सुपर फास्फेट की मात्रा एवं पोटाश की प्रतिशत मात्रा को 1.67 से गुणा करने पर पोटाश (लाल) की मात्रा प्राप्त होती है।

7. उर्वरक तत्वों की सिफारिश मात्रा (प्रति एकड़) :-

स्फुर और पोटाश की पूरी मात्रा आधार खाद के रूप में बुआई या रोपाई के समय डालें। नत्रजन खाद की पूरी मात्रा को तीन भाग में बांटकर षीघ्र, मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों में उर्वरक उपयोग करने का समय जानने के लिए हमारे अन्य लेख पढ़ें , जिसमे धान फसल में प्रति एकड़ कितना खाद उर्वरक डालना चाहिए , उसका विस्तृत जानकारी दिया गया है। नीचे क्लिक कर पढ़ें –

=>Dose of Micro Nutrient fertilizer in Acre- अपने खेत या बाड़ी में सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव कर अच्छी ऊपज प्राप्त करें, पोषक तत्वों का लिस्ट एवं इसका प्रति एकड़ मात्रा @2023

=>Recommended Fertilizer Dose for Paddy-हाइब्रिड एवं देशी धान के किस्मों में अधिक उत्पादन पाने के लिए संतुलित खाद का मात्रा प्रति एकड़ कब और कितना डालना चाहिए पढ़ें, एक बार देख लेवें @(2023)

8. जैविक खाद का प्रयोगः

जैविक खाद के अंतर्गत गोबर खाद केंचुआ खाद, नाडेप खाद, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद, नील हरित काई, एजोला, एजोस्पाइरिलम, पीएसबी कल्चर आदि होते हैं, जिनका प्रयोग धान में कर सकते हैं।

(अ) हरी खादः

जहाँ सिंचाई सुविधा हो और जहाँ धान की खेती रोपाई विधि से करते हैं, वहाँ हरी खाद का उपयोग लाभदायक है। टैंचा बीज 20-25 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से बोकर बुआई के 35-40 (पुष्पन अवस्था में) दिन बाद ट्रैक्टर से मताई कर खेत में मिलाने से 16-20 कि.ग्रा. नत्रजन तत्व प्रति एकड़ और पर्याप्त मात्रा में जीवांश पदार्थ मिलता है।

(ब) पी.एस.बी. कल्चर:-

जमीन में अघुलनशील अवस्था में पड़े हुये फास्फेटिक (स्फुर) उर्वरकों को पी. एस. बी. कल्चर घोलने का काम करती है। इसके लिये 5-10 ग्राम कल्चर प्रति कि.ग्रा. की दर से बीज उपचारित करें। इसके उपयोग से 8-10 किलो स्फुर तत्व की बचत प्रति एकड़ होती है। रोपाई के पूर्व 1.5-2.0 किलो पी.एस. बी. कल्चर 40-50 किलो सूखे गोबर में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

टीप:-

अधिक जानकरी प्राप्त करने हेतु अपने निकटतम कृषि कार्यालय / अधिकारी से संपर्क करें।

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