गार्डन में घास लगाने का तरीका – Best वैज्ञानिक विधि 2024

गार्डन में घास लगाने का तरीका (Lawn Growing)

भूमि पर दूब की चटाईनुमा पर्त बनाना जिससे कि भूमि समान रूप से हरी दिखाई देने लगे उसे हरियाली या लॉन (Lawn) कहते हैं। हरियाली छोटे एवं बड़े अलंकृत उद्यान का अभिन्न अंश हैं।

गार्डन में घास लगाने के लिए उपयुक्त स्थल

हरियाली सभी प्रकार की भूमि पर तैयार की जा सकती है, मात्र अति सघन छायादार स्थल, भूमि तथा ऐसी भूमि जिसमें जल निकास न हो, को छोड़कर। उपर्युक्त स्थानों पर भी थोड़ा अधिक प्रयास करने पर लॉन लगाई जा सकती है ।

गार्डन में घास लगाने के लिए भूमि की तैयारी

भूमि घास या दूब के बढ़ने लिए भुरभुरी बन जाय, समतल हो और अश्यकता से अधिक जल सरलता से निकल जाए यही भूमि की तैयारी का उद्देश्य है। भूमि को 30-45 सेमी. गहरी खोदकर, कंकड़-पत्थर, झाड़ियों या घास की जड़ें आदि निकालकर 15 दिन के लिये खुली छोड़ दें। वर्षा ऋतु के पूर्व ऐसा करना उचित है जिससे कि उस भूमि में पर्याप्त धूप लग जाए।

मिट्टी चिकनी किस्म की है तो इसमें रेत मिलाना चाहिए। यदि रेतीली है तो काली मिट्टी मिलाना चाहिए। गोबर की खाद या कम्पोस्ट 25 से 30 किलो प्रति वर्ग मी. के अनुपात में अच्छी तरह भूमि में मिला दें। अच्छी तरह भूमि को समतल करें, जिससे कि किसी भी स्थान में पानी न रुके। समतल कर सिंचाई कर दें। दो-तीन दिन पश्चात् पुनः निरीक्षण करें कि भूमि समतल है या नहीं। यदि समतल नहीं है, तो समतल करें। समतलीकरण के लिए खूंटियों का उपयोग करें।

गार्डन में घास लगाने के लिए उपयुक्त घास का चुनाव करें

भूमि के उपयोग के अनुसार घास का चुनाव किया जा सकता है। सामान्य रूप दूब या साइनोडॉन डैक्टाइलान (Cynodon Dactylon) हरियाली या लॉन लगाने के लिए उपयोग की जाती है। वृहत स्थलों पर जहाँ लॉन पर अधिक खर्च हो तथा सावधानी न की जा सकती हो और सिंचाई के लिए पानी कम हो, वहाँ पर देशी दूब घास उपयुक्त होती है।

छोटे स्थलों विशेष रूप से गृह उद्यानों के लिए राजघाट दूब का चुनाव करें। यह घास अधिक मुलायम होती है और देख-रेख अधिक चाहती है। अमेरिकन टिफिन (American Tiffen) शीतल स्थानों के लिए उपयुक्त होती है। घास किसी भी किस्म की चुनें पूर्णतया परिपक्व (Matured), छोटे अंतर के गाँठों वाली हो तथा जिसे छायादार
स्थानों में न उगाया गया हो ।

गार्डन में घास लगाने का तरीका /घास लगाने की विधि

अगस्त-सितम्बर माह घास लगाने के लिए सर्वोत्तम होता है। घास लगाने के पूर्व भूमि पर उगे हुए खरपतवार अलग कर दें। घास लगाने की चोभना या हाथ ले लगाना (Dibbling) विधि सर्वोत्तम होती है। इस विधि में घास लगाने वाले क्षेत्र में 15 सेमी. के अंतर से खूंटी द्वारा निशान बनाकर घास लगा दी जाती है। घास लगाने के पश्चात हल्का बेलन चला दिया जाता है जिससे कि घास दब जाय । तत्पश्चात् हल्की सिंचाई कर दें। इस विधि से लॉन 4-5 माह में तैयार हो जाती है।

घास लगाने की अन्य विधियाँ भी हैं जैसे, घास के बीज बोना, घास की कुट्टी बनाकर मिट्टी में मिला देना, तैयार घास को मिट्टी सहित ईंटों के समान भूमि पर जमा देना आदि, किंतु ये विधियाँ संतोषजनक नहीं हैं। बीज द्वारा लॉन तैयार करने में समय अधिक लगता है और खरपतवार की समस्या अधिक रहती है। तैयार घास को मिट्टी सहित जमाने में यद्यपि लॉन शीघ्र तैयार हो जाती है किंतु इसमें खर्च अधिक आता है ।

घास की कटाई तथा बेलन चलाना

जब घास भूमि में फैलकर उसको अच्छी तरह ढँक ले तब एक बार हल्का बेलन चलाकर घास की कटाई करें। घास की कटाई घास काटने की मशीन (Lawn mower) से की जाती है। आरंभ में हल्के रूप में कटाई करें । कटाई की गहराई क्रमशः बढ़ाते जाएँ जब तक कि इच्छानुसार घास की तह न बन जाए ।

लॉन की देख रेख

हरियाली या लॉन तैयार हो जाने पर उसे समान रूप से आकर्षक बनाए रखने तथा स्थान- स्थान पर कटाव न रहे आदि उद्देश्यों के लिए उचित देख-भाल की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार है-
(1) उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरक दें – घास की वृद्धि के लिये पर्याप्त मात्रा में खाद तथा उर्वरक देना आवश्यक है। यूरिया के रूप में 20-25 ग्रा. वर्ग मी. क्षेत्र या अन्य उर्वरक इसी अनुपात में वर्षा के पहले दें। सड़ी हुई गोबर की खाद 10 प्रति वर्ग मी. वर्षा के पूर्व देना चाहिए ।

(2) प्रति वर्ष चूना से उपचार करें- भूमि में अम्लीय खाद देने से अम्लता बढ़ जाती है इसलिए आवश्यक है कि लॉन में प्रतिवर्ष अच्छा बुझा हुआ चूना 1 किलो प्रति 15 वर्ग मी. के अनुपात में वर्षा ऋतु के आरंभ होते ही दें। चूना को लॉन में अच्छी तरह फैलाकर हल्की सिंचाई कर देना चाहिए ।

(3) खरपतवार का नियंत्रण रखें- लॉन में खरपतवार होना एक जटिल समस्या है जिसका हल लॉन लगाने के समय से आरंभ करना चाहिए। प्रमुख रूप से मोथा (Cyperus), दूधी (Euphorbia), गोबी (Gobi) और क्लोवर (Trigonella) आदि खरपतवार लॉन में अधिकता से उगते हैं। अन्य घास के बीज भी उगकर लॉन की घास को मिश्रित कर देते हैं। अतः समयानुसार उनकी निंदाई करते रहना चाहिए। निंदाई करते समय यह ध्यान रखें कि लॉन की घास को क्षति न पहुँचे।

(4) कटाई तथा बेलन चलाना – यह एक नियमित क्रिया है, जिसे आवश्यकतानुसार तथा घास की वृद्धि के अनुसार करते रहना चाहिए। कम से कम प्रति तीन या चार माह के अंतर से पास की कटाई तथा बेलन चलाने की क्रिया दुहरानी चाहिए। (5) पास की छिलाई — तीसरे या चौथे वर्ष घास की छिलाई कर देना चाहिए जिससे कि नई घास आ जाय क्योंकि घास पुरानी हो जाने पर कड़ी हो जाती है।

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