जई की वैज्ञानिक खेती (Cultivation of Oat) कैसे करें। Best (2024)

जई
oat plant

जई की वैज्ञानिक खेती(Cultivation of Oat) कैसे करें

General Introduction Oat Crop 

इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही हरे चारे और सूखे चारे दोनों के रूप में किया जाता है । इससे अच्छे गुणों वाला साइलेज भी तैयार किया जाता है । जानवरों के चारे के लिए जई  का महत्वपूर्ण स्थान है । जई  में कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है ।

वर्तमान समय में oats खाना trend हो रहा है। मुख्य रुप से जिसको मोटापा का समस्या या जो dieting करना चाह रहे हों या कर रहे हो ओ दिन में oats खाना ज्यादा पसंद करते है। इसक प्रमुख कारण इसका बहुत अच्छा स्वाद , सुपाच्या होना और बहुत अच्छा nutrient value होना है।

जई  की फसल से दाना भी प्राप्त किया जाता है जिसका प्रयोग मुख्य रूप से पशुओं व मुर्गियों के चारे के लिए किया जाता है ।

Oat
Oat

भूमि एवं जलवायु

बलुई दोमट से लेकर भारी मराठी दोमट भूमि में जई  की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है । भूमि में जल निकासी  का प्रबंधन होना चाहिए एवं अपेक्षाकृत ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है । सभी सिंचित स्थानों पर जहां गेहूं की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है जई  को भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है । उच्च तापक्रम एवं सूखे की स्थिति में जई  की खेती नहीं की जा सकती ।

खेत की तैयारी

पहली  जुताई गहरी मिट्टी पलटने वाले हल से व तीन से चार जुताई हैरो कल्टीवेटर या देशी हल से करते हैं । प्रत्येक जुताई के बाद पाटा  लगाना आवश्यक है । जिससे मिट्टी भुर्भुरे एवं नरम हो जाये।

खाद उर्वरक

चारे की फसल के लिए 80 से 100 किलोग्राम नाइट्रोजन व 40 से 60 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर देना आवश्यक है । नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फास्फोरस की पूरी मात्रा बुवाई के समय तथा नाइट्रोजन की 1/4मात्रा होने के 25 दिन बाद पहली सिंचाई के समय तथा शेष 1/4 भाग पहली कटाई के बाद डालना चाहिए । दाने की फसल के लिए 80 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है ।

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बुवाई का समय(Time of sowing)

इसकी बुआई अक्टूबर से दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक की जाती है । फसल की बुवाई जितनी शीघ्र की जाती है उतनी ही अधिक कटाई और अधिक उपज प्राप्त होती है ।

बीज की मात्रा(Amount of seed)

चारे की फसल के लिए बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा दाने के लिए 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है ।

बुवाई की विधि(Sowing method)

जई को छिड़कावा  विधि तथा पंक्तियों में बुवाई विधि से बोया जा सकता है ।

जई

सिंचाई (Irrigation)

बुवाई के समय मृदा में उपस्थित नमी के आधार पर जल की फसल में पहली सिंचाई बुवाई के 25 दिन बाद की जाती है । इसके बाद की सिंचाई 15 से 20 दिन के अंदर पर की जाती है ।

खरपतवार नियंत्रण (weed control)

फसल में निदाई  गुड़ाई की ज्यादश्यज्यादा आवश्यक  नही होती है। क्योंकि फसल की वृद्धि अधिक होने के कारण खरपतवार वृद्धि ही नहीं कर पाते ।

कटाई प्रबंधन एवं उपज (Harvest Management and Yield of oat)

पहली कटाई 50% फूल आने पर काटने से अधिकतम उपज प्राप्त होती है । यह अवस्था बुवाई के बाद 55 से 60 दिन में आ जाती है । इस समय पर पौधे 60 से 65 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाते हैं । दूसरी कटाई पहली कटाई के 30 से 35 दिन बात करते हैं । तीसरी कटाई बीज के पकने पर मई में कर लेते हैं । इससे चारे के साथ-साथ दाना भी प्राप्त हो जाता है । हरे चारे की उपज 30 से 45 टन /हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है ।जई

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