धान में बियासी (Biyasi is a Interculture Operation of Paddy Crop)
बियासी क्या है ?
इसे ब्यासी भी कहते हैं । यह मुख्य रूप से बोता धान , खुर्रा बोनी , ओनारी धान एवं लाई चोभी विधि से बोया गया धान में किया जाता है । रोपा पद्धति से बोया गया धान में नहीं किया जाता । गांवों में फसल जब लगभग 1 फुट उचाई का हो जाता है तब बैल नागर से खेत को पुनः जोता जाता है , इसी को बियासी कहते हैं ।
बियासी उपकरण का नाम
1. बैल नागर (देशी नागर) लकड़ी वाला
2. बैल चलित बियासी यंत्र (लोहे का)
धान का बियासी करने का फायदा
खेत का खरपतवार खत्म होता है , जिससे धान का फसल अच्छे से बढ़ता है ।
खेत की मिट्टी नरम होता है , जिससे धान का जड़ अच्छे से फैलता है और ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्व लेता है , इसका फलस्वरूप धान में कन्से अच्छे आते हैं ।
बियासी से धान का जड़ टूटता है , जिससे पौधों में अचानक स्ट्रेस आने के कारण पौधे ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं ।
बोता धान में पौधे से पौधे की दूरी बहुत कम होता है , बहुत घन पौधे होता है, जिसके कारण धान का पौधे ज्यादा कंसा नहीं देता । बियासी करने से बहुत सारे धान मर जाते हैं , जिससे धान का पौधों को हवा पानी पोषक तत्व बराबर मिलता है।
बियासी करने से बहुत सारे हानिकारक किट और उसके अंडे , जो पत्तीयों पर चिपके होते हैं पानी में डूब का मर जाते हैं , जिससे फसल का रक्षा होता है ।
बियासी करने से खेत में पोला पड़ता है , जिसके कारण खेत में ज्यादा पानी रुक पाता है, जो की धान के फसल के लिए बहुत जरूरी है , बिना बियासी वाला खेत कठोर होता है , इसलिए पानी ज्यादा नहीं ठहरता ।