धान के अलावा अन्य फसलों में पोटाश अधिक उपज और उत्तम गुणवत्ता के लिये जरूरी है 2023

संतुलित उर्वरक प्रयोग क्या है ?

फसलों की सही बढ़वार, उपज और गुणवत्ता के लिए बहुत सारे पोषक तत्वों की जरुरत होती है । नत्रजन (N), फास्फोरस (P), पोटाश (K), गंधक (S) और जिंक (Zn), कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व है।

फसलों को नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश की अधिक मात्रा में जरुरत होती है, इसलिए इन तत्वों को उर्वरकों के माध्यम से फसलों में डालते हैं।

पोषक तत्वों को सही अनुपात और जरुरी मात्रा में प्रयोग करने को ही संतुलित उर्वरक प्रयोग कहते हैं।

लगातार असंतुलित उर्वरक प्रयोग करने से क्या होता है?

लगातार अंसतुलित उर्वरक प्रयोग से निम्नलिखित नुकसान हो सकते है।

मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी

फसलों की उपज में गिरावट

फ़सल गुणवत्ता में कमी

घटता लाभ

पोटाश के साथ संतुलिज उर्वरक प्रयोग से क्या फायदे हैं?

जरुरी मात्रा में पोटाश खाद का इस्तेमाल करने से उच्च फसल उत्पादन को बरकरार रखा जा सकता है । उत्तम गुणवत्ता, जिसका मतलब है आसानी से उपज की बिक्री । अधिक पैदावार और उत्तम गुणवत्ता से किसानों को ज्यादा लाभ।

पोटाश फसलों को कैसे लाभ पहुँचाता है?

पोटाश के प्रयोग से फसलों की सही बढ़वार होती है जिससे उपज बढ़ती है। पोटाश पौधो की अंदरुनी क्रियाओं को नियंत्रित करता है।

नतीजन, पौधे सेहतमंद और स्वस्थ होते है और फसलों में प्रतिकूल परिस्थितियों को सहने की अधिक ताकत होती है। पोटाश, फसलों द्वारा दूसरे पोषक तत्वों के उपयोग को बढ़ाता है, इस तरह डाली गई यूरिया और डी. ए. पी. खादों का सही इस्तेमाल होता है।

पोटाश खाद से जड़ों की अधिक बढ़वार होती है और पौधे में सूखा और पाले को सहने की ताकत में सुधार होता है। यह पौधों में कीटों और बिमारीयों के बुरे प्रभावो को कम करता है और पौधों को तना टूटकर गिरने से भी बचाता है।

पोटाश पौधो की गुणवत्ता को कैसे सुधारता है? पोटाश को एक ‘गुणवत्ता सुधारक’ उर्वरक माना जाता है। उचित मात्रा में पोटाश के इस्तेमाल से विभन्न गुणवत्ता कारकों में सुधार होता है ।

जरुरी मात्रा में पोटाश खाद के प्रयोग से निम्नलिखित सुधार होते है।

दानें मोटे और चमकदार होते है।

दानों और फलों में प्रोटीन, तेल और विटामिन-सी की अधिक मात्रा होती है।

फलों और कंदो का आकार बडा होता है।

फलों के रंग और स्वाद में सुधार होता है।

कृषि उत्पादों के भंडारण और ढुलाई में होने वाले नुकसानों में कमी होती है।

हमारी मृदओं में पोटाश का प्रयोग क्यों जरुरी है?

मिट्टी में पोटाश की असिमित उपलब्धता नहीं होती है, इस कारण मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बरकरार रखने के लिए पोटाश खाद का प्रयोग अत्यन्त जरुरी है ।

एक के बाद एक फ़सलों को उगाने के कारण मिट्टी में पोटाश की कमी हो जाती है और अगर जरुरी मात्रा में पोटाश खाद डालकर इस कमी को पूरा न किया जाये तो मिट्टी में पोटाश की कमी पैदा हो जाती है।

फसलें मिट्टी से कितना पोटाश निकाल लेती हैं?

प्रत्येक फसल मिट्टी से पोटाश सहित आवश्यक पोषक तत्वों को निकाल लेती है। औसतन, 50 क्विंटल धान की फसल लगभग 110 किलो नत्रजन, 38 किलो फास्फोरस और 156 किलो पोटाश प्रति हैक्टेयर मिट्टी से निकाल लेती है।

जितनी ज्यादा फसल की उपज, फसलों द्वारा पोषक तत्वों का अवशोषण उतना ही ज्यादा मिट्टी से पोषक तत्वों का शोषण ।

आमतौर पर सभी फसलें दूसरे पोषक तत्वों के मुकाबले पोटाश का ज्यादा मात्रा में अवशोषण करती हैं इसलिए पोटाश खाद का प्रयोग जरुरत के मुताबिक बहुत ही आवश्यक हो जाता है।

पोटाश उर्वरक क्या है?

लिए म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) उर्वरक का प्रयोग करते हैं। जैसे यूरिया और डी.ए.पी का नत्रजन और फारफारेस देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है वैसे ही पोटाश (K) तत्व देने के उपयोगी है।

आम तौर पर पोटाश उर्वरक कौन से हैं?

उर्वरक
पोटेशियम क्लोराईड
पोटेशियम स्लफेट
पोटेशियम नाइट्रेट

नाईट्रेट आफ पोटाश एन.ओ.पी. एन. पी. के. पेट ऑफ पोटाश (MOP) उर्वरक अलग-अलग रंगों है । जैसे कि लाल, गुलाबी और सफेद ।

इस अलग-अलग रंगों वाले म्यूरेट आफ पोटाश (MOP) उर्वरक की रसायनिक बनावट और पोटेशियम तत्व की मात्रा एक जैसे ही होती है और यह सभी प्रकार की फसलों पर सामान रूप से असर करती है।

फसलों पर पोटाश खाद के रंग का कोई भी प्रभाव नहीं पडता है और फसलें, सफेद, गुलाबी और लाल पोटाश में कोई अंतर नही करती हैं।

पोटाश खाद डालने का सही समय क्या है? आमतौर पर पोटाश खाद बिजाई / रोपाई (बेसल) के वक्त ही डाला जाना चाहिए। इससे शुरुआत में फसल की बढ़वार अच्छी होती है और बाद में पूरे जीवनकाल दौरान पोटाश की उचित मात्रा में भरपाई होती रहती है।

पर रेतिली या भारी मृदाओं में, जहाँ पोटाश के गहरे रिसाव (leaching) अथवा जमा (Fixation) होने के कारण हानि होने का डर रहता है, वहाँ पोटाश खाद को दो या अधिक भागों में बाट कर (आधा बिजाई और आधा ऊपरी छिड़काव द्वारा) प्रयोग करें ताकि फसल को पोटाश निरंतर मिलता रहे।

कितना पोटाश डालना चाहिए?

निम्निलिखत कुछ आम सिफारिशें दी गई हैं। असली उर्वरक सिफारिशें तो फसल की उपज, प्रजाति, सिचाई और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति पर निर्भर करती हैं। अपनी मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा जानने के लिए, समय-समय पर मिट्टी प्रयोगशाला से मिट्टी की जाँच अवश्य करवा लें।

क्या जैविक उर्वरक फसलो को आवश्यक मात्रा में पोटाश दे सकते हैं?

जैविक खादों में बहुत थोड़ी मात्रा में नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश तत्व पाये जाते है। गोबर और कम्पोस्ट मे केवल 0.5-0.6% पोटाश की मात्रा होती है जबकि म्यूरेट आफ पोटाश (MOP) उर्वरक में 60% पोटाश (KO) होता है।

उदाहरण के लिए: 60 किलो पोटाश (KO) प्रति हैक्टेयर देने के लिए आपको 10,000 किलों सूखी गोबर की खाद की जरुरत पड़ेगी जबकि मात्र 100 किलो म्यूरेट आफ पोटाश से ही काम चल जायेगा।

संतुलित उर्वरक प्रयोग में जैविक उर्वरको का अपना ही महत्व है। क्योकि यह मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की क्रियायों को बढ़ाता है और मिट्टी के भौतिक गुणों (जैसे मिट्टी की बनावट, पानी सोखने की क्षमता और हवादारी) को सुधार देता है।

जब नत्रजन (N) फास्फोरस (P) और पोटाश(K) उर्वरकों को जैविक उर्वरकों के साथ संयुक्त रूप से प्रयोग किया जाता है तो उसका नतीजा ज्यादा अच्छा निकलता है। इसको ही समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन (INM) कहते है ।

और पढ़ें

 किचन गार्डन बनाने के लिए जरूरी बातें । 

गेंदे की खेती के सम्पूर्ण जानकारी 

गेहूं की उन्नत खेती की विधि 

मक्के की उन्नत खेती की विधि

धान के तना छेदक किट के लिए दवाई 

धान की उन्नत खेती एवं समन्वित किट प्रबंधन 

आई एफ एस मोडेल के बारे में जानिए, यह खेती के लिए बहुत महत्वपुर्ण है। 

69 / 100