माइट्स क्या है ? विभिन्न फसलों में लगाने वाले MITES किट का नाम, लक्षण एवं नियंत्रण के लिए BEST उपाय @2024

माइट्स क्या है ? (What is Mites Insect) प्रमुख लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

माइट्स क्या है ? कृषि बरूथी (Spider / Mite)

माईट (Mite) किट के 200 से भी अधिक कुल में 48,200 से अधिक प्रजातियाँ हैं। इसमें से कई प्रजातियाँ पानी तथा मिट्टी में मुख्य रूप से निवास करती हैं तथा कई प्रजातिया पानी तथा कई पौधो तथा प्राणियों पर परजीवी के रूप में निवास करती हैं। कृषि में माईट (Mite) का प्रकोप निरंतर बढ़ रहा हैं, इनमे से मुख्य रूप से टेट्रानिकीड़ी, टिनुपाल्पीडी, टार्सेनोमीडी, ईरीयोफीडी तथा टकरेलीडी कुल की माईट (Mite) कृषि के लिए महत्वपूर्ण नाशीजीव बन गयी है। इन कुलों की लगभग 44 से अधिक प्रजाती कृषि फसलों को नुकसान पहुचाती है।

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माइट्स क्या है
माइट्स किट का फोटो

माइट्स किट का सामान्य जीवन चक्र

माईट (Mite) की विभिन्न प्रजातियों में सामान्यतरू एक सामान जीवन चक्र पाया जाता हैं। इनके जीवन चक्र में पांच अवस्थाये क्रमशः अंडा-लार्वा-प्रोटोनिम्फ-ड्यूटोनिम्फ-वयस्क होती हैं। अनुकूल परिस्थिति में इनका जीवन चक्र 7-10 दिन में पूरा हो जाता हैं। वर्ष भर में इनकी 18-20 पीढ़िया पाई जाती हैं।

माईट (Mite) किट के पहचान चिन्ह (प्रमुख लक्षण)

मकड़ी में वयस्क अवस्था में चार जोड़ी पाँव व निम्फ अवस्था में तीन जोड़ी पाँव पाए जाते हैं। अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण नग्न आँखो से लगभग नहीं देखा जा सकता है। इसका शरीर दो भागों में विभक्त होता है। इनके शरीर पर पंख तथा श्रंगिकाए अनुपस्थिति होते है। इनमें मुखागों के स्थान पर सुई के समान एक जोड़ी चेलीसरी तथा पेडीपल्स (चूषक) पाए जाते है।

माईट (Mite) किट की संख्या में वृद्धी के निम्न कारण है

उन्नत कृषि तकनीक, अधिक उत्पादन देने वाली किस्मो का प्रयोग, नत्रजन युक्त उर्वरको का आवश्यकता से अधिक उपयोग आदि कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे माईट (Mite) की संख्या में अत्याधिक बढ़ोतरी हुई हैं।

क्लोरीनेटेड हाईड्रोकार्बन्स तथा पायरेथ्रोईड समूह के कीटनाशकों का अविवेकपूर्वक उपयोग करने से माईट (Mite) के प्राकृतिक शत्रुओं का नाश हो जाता है जिसके कारण माईट (Mite) के संक्रमण (Infection) में बहुत ही तेजी से वृद्धि होती है।

माईट (Mite) में कीटनाशक रसायनों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होना क्योंकि किसान कीटनाशको का सिफारिश के अनुसार प्रयोग नहीं करते है प्रायः वो कीटनाशक रसायनों की कम / अधिक मात्रा का प्रयोग करते है। इसी कारण से माईट (Mite) में तेजी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है।

कीटनाशक दवाओं का सही प्रकार से छिड़काव नहीं होने से पौधे के कुछ भाग इसके प्रभाव से अछूते रह जाते है तथा यही से माईट (Mite) की संख्या में पुनः वृद्धि होती हे।
पूर्व में कई माईट (Mite) प्रजातियाँ कृषि के हिसाब से बहुत कम महत्व की मानी जाती थी, परन्तु जलवायु में परिवर्तन के कारण कई माईट (Mite) आज के समय में कृषि फसलो में आर्थिक क्षति पहुचा रही हैं।

विभिन्न फसलों, सब्जियों व फलों में माईट (Mite) के लक्षण (Symptom) एवं होने वाली क्षति का विवरण निम्न प्रकार है

गेहूँ में माइट्स किट का प्रभाव

इरियोफीडी माईट (Mite) गेहू में स्ट्रीक मोजेक वायरस को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

ज्वार की माईट (Mite)

इसका वैज्ञानिक नाम ओलीगोनिंकस ईंडीकस हैं। यह हल्के हरे रंग की होती है जिसके शरीर पर काले रंग के कुछ धब्बे पाये जाते है। इसके वयस्क तथा शिशु दोनों ही पत्तियों के नीचे जाले बना कर समूह में रह कर रस चूसते है, इससे पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बन जाते है और यह आपस में एक दुसरे से जुड़ जाते है तथा बड़े गहरे लाल धब्बों में परिवर्तित हो जाते है। इससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है। इस माईट (Mite) का प्रकोप अगस्त से दिसम्बर माह के दौरान अधिक देखने को मिलता है।

धान की शीथ माईट (Mite)

इसका वैज्ञानिक नाम स्टेनीयोंटार्सोनीमस स्पीन्की है। ये माईट (Mite) बहुत ही सूक्ष्म आकार की होती है। इसे धान की आवर्तक पर्ण (शीथ लीफ) पर ढूंढा जा सकता है। यहाँ पर ये माईट (Mite) समूह में रहती है तथा सतत पत्तीयो से रस चूसती रहती है जिससे पत्तियों की कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। इसके कारण पत्तियों को देखने पर उनके ऊपर धब्बे दिखाई देते है। इस कारण से पौधों में बाली देरी से निकलती है तथा ये बाली बहुत ही छोटे आकार, सफेद व खाली दानों वाली होती है।

बालियों पर माईट (Mite) का संक्रमण (Infection) होने से इसमें दाने नही बन पाते हैं या भूरे रंग के हो जाते हैं। इसके ● कारण फफूद का आक्रमण भी आसानी से हो जाता हैं जिससे शीथ रॉट नामक रोग हो जाता हैं। इससे अंकुरण शक्ति घट जाती है। इस माइट से फसल को भारी नुकसान होता है तथा किसान को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

अरंडी की माईट (Mite)

टेट्रानिकीड़ी कुल की माईट (Mite), टेट्रानिकस मेकफेरलेनी का प्रकोप देखने को मिलता है। ये सूक्ष्म की लाल-भूरे रंग की होती है। इसके शिशु तथा वयस्क दोनों ही पत्तियों के नीचे वाले भाग पर रहते है तथा वही से सतत् रस चूस कर विकसित होते रहते है। माईट (Mite) ग्रस्त पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे देखने को मिलते है। जो बाद में भूरे रंग में बदल जाते है। बहुत अधिक प्रकोप की दशा में कैप्सूल भी नहीं बनते है।

तिल की माईट (Mite)

पीलीध्ब्रॉड माईट (Mite) (पोलीफेगाटार्सेनेमस लेटस) का प्रकोप तिल में देखने को मिलता है। ये माईट (Mite) टार्सेनोमिडी कुल से सम्बन्धित है। ये आकार में गोल तथा मैले सफेद रंग की होती है। इस माईट (Mite) का प्रकोप खेत के ऐसे प्रागो से शुरू होता है जहां पर पानी लम्बे समय तक भरा रहता है तथा नमी अधिक होती है। दो-तीन दिनों में इस माईट (Mite) का प्रसार सम्पूर्ण खेत में तेजी से हो जाता है।

इसके शिशु तथा वयस्क दोनों ही पत्तियों की निचली सतह पर रह करके उनका चूसते रहते है। माईट (Mite) से प्रकोपित पत्तियाँ मुड़ जाती है तथा इनके किनारों की तरफ से मुड़ कर विकृत हो जाती है। ये दूर से देखने पर काले रंग की दिखाई देती है। इसके प्रकोप के कारण पौधे में फुल नहीं लगते है तथा फलीयां भी नहीं बनती है जिससे उपज का भी नुकसान होता है।

मूंगफली की माईट (Mite)

मूंगफली में वर्षा तथा गर्मी के मौसम में कभी-कभी स्पाईडर माईट (Mite) (टेट्रानिकस अर्टीकी) का प्रकोप देखा जाता है। ये माईट (Mite) पत्तियों की निचली सतह पर जाला बना करके समूह मे रहती है तथा पत्तियों से लगातार रस चूसती रहती है। इसके कारण पत्तियों की ऊपरी सतह पर असंख्य सफेद रंग के धब्बे बन जाते है तथा दूर से पौधे सफेद रंग के दिखाई देते है। इस माईट (Mite) का प्रकोप फसल की बाद की अवस्था में जब वातावरण में अधिक गर्मी होती है, अधिक देखने को मिलता है।

दलहनी फसलों की माईट (Mite)

यहाँ पर अरहर की फसल में सूक्ष्म आकार की ईरीयोफीड व एसेरीया कैजेनी माईट (Mite) का प्रकोप होता है। ये माईट (Mite) धागे जैसी संरचना बना कर उससे जाले बना लेती है, फिर इसके अंदर रह कर लगातार रस चूसती है। ये माईट (Mite) अरहर में बंध्यता के विषाणु (वायरस) का भी फैलाव करती है। इस कारण से पौधों में दानें नहीं बन पाते है। )

कपास की माईट (Mite)

कपास की फसल में एकेरिना कुल की लाल माईट (Mite) टेट्रानाएकस सिनाबेरिनस का प्रकोप पाया जाता है। पूर्ण विकसित वयस्क माईट (Mite) गोल तथा गहरे लाल रंग की होती है जबकी शिशु अवस्था शुरुआत में हल्के पीले रंग की होती है जो धीमे-धीमे गहरे लाल रंग की हो जाती है। इसके शिशु तथा वयस्क दोनों ही पत्तियों की नीचले सतह पर मुख्य शिराओ के मध्य चिपकर रस चूसते हैं।

प्रकोपित पत्तियों की निचले सतह पर सर्व प्रथम पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में पूरी पत्ती पर फेल जाते हैं, इसके परिणामस्वरूप पत्तियाँ मुरझा कर गिर जाती हैं। जब इसका प्रकोप बहुत अधिक सख्यां में होता है तब पत्तियों की निचली सतह पर जाले ही जाले बने दिखाई देते है तथा उनमे असंख्य माईट (Mite) चलती दिखती है। प्रभावित पौधा कमजोर हो जाता हैं एवं उपज में कमी आती हैं।

कपास में लगने वाले माइट्स किट का प्रकार (TYPES OF MITES INSECT)

पोलीफेगाटार्सेनेमस लेटस  माइट्स

टार्सेनोमिडी कुल की इस मकड़ी का प्रकोप मिर्च, बैंगन, ग्वार चवला, भिंडी व बैलों वाली सब्जियों में अधिक देखने को मिलता है। यह आकार में छोटी, चमकीले पीले रंग की, अर्धपारदर्शक होती है। इस माईट (Mite) के प्रकोप की शुरुआत सब्जियों के ऊपरी कोमल पत्तो से शुरू होती है। शिशु तथा वयस्क दोनों ही पत्तियों के निचले • भागो पर चिपक कर उनसे सतत् रस चूसते रहते है, इसके कारण वृद्धि करने वाली पत्तियाँ भूरे रंग की हो जाती है ।

टेढी मेढ़ी हो कर विकृत हो जाती है तथा माईट (Mite)-ग्रस्त पौधे कोड ग्रस्त (कर्लिंग) दिखाई देते है। बहुत अधिक प्रकोपित पौधों में फूल नहीं लगते है तथा उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है। इस माईट (Mite) का प्रकोप प्रायः सितम्बर-अक्टूबर तथा फरवरी-मार्च के महीनों में सर्वाधिक देखा जाता है।

टेट्रानिकस अर्टीकी माइट्स

भिन्डी तथा खीरावर्गीय सब्जियों पर इस माईट (Mite) का प्रकोप मार्च से जूलाई माह में सर्वाधिक देखने को मिलता है। ये लाल रंग की, शरीर पर धब्बे युक्त तथा जाले बना कर रहने वाली माईट (Mite) है। माईट (Mite) वयस्क तथा शिशु दोनों ही रेशम के बने जाले के नीचे घुस कर पत्तियों से लगातार रस चूसते रहते है। इसके फलस्वरूप पौधों तथा। पत्तियों पर असख्य भूरे रंग के दाग तथा धब्बे दिखाई देते है। लगातार माईट (Mite) की संख्या में वृद्धि होने से पत्तियों का हरापन विपरीत असर कम होने लगता है।

जिससे प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। फलस्वरूप उत्पादन पर बहुत पड़ता है। इन पत्तियों के जालो में धुल मिट्टी के बारीक कण भी उपस्थित होते है। अंततः पत्तियाँ पीली पड़ कर सूख जाती है व गिर जाती है, इससे गुणवता तथा उत्पादन पर विपरीत असर पड़ता है।

आम की माईट (Mite)

टेट्रानिकीड़ी कुल की ओलीगोनीकस मेंजीफेरी माईट (Mite) पत्तियों की ऊपरी सतह पर एवं टेट्रानिकस सिनाबारीनस माईट (Mite) पत्तियों की निचली सतह पर समूह में रह कर उनका रस चूस कर भारी मात्रा में नुकसान पहुँचाती है। इसके कारण पत्तियों पर शुरुआत में सफेद दाग बन जाते है जो बाद में बड़े हो जाते है और धीरे- धीरे पत्तियां पीली पड़ कर गिर जाती है। आम की इस माईट (Mite) का प्रकोप सामान्यतया सितम्बर माह की शुरुआत मे देखा जाता है तथा नवम्बर माह तक इसकी संख्या बढ़ जाती है।

ईरियोफिड कुल की माईट (Mite) एसिरिया मेंजिफेरी भी पत्तियों के किनारों पर रह कर रस चूस कर नुकसान पहुँचाती है जिसके कारण पत्तियों के ऊपर चमकीले धब्बे देखे जाते है। इसकी शुरुआत पर्णदंड से होकर पत्तियों की मध्य शिरा के आसपास तथा इसके उपरांत ये अन्य भागों में फैलती है। इस माईट (Mite) का प्रकोप प्रायः पुराने पत्तों पर ही देखने को मिलता है। इसी कुल की एक अन्य माईट (Mite) एसीरीया मेंजीफेरी का भी आम में प्रकोप देखने को मिलता है तथा ये आम के पुष्पक्रम में विकृति व (माल-फोर्मेशन) रोग को फैलाने में प्रमुख वाहक की भूमिका निभाती है।

इसका प्रकोप मई माह में अधिक पाया जाता है। फूलों को नुकसान पहुचाने वाली माईट (Mite) : फूलों जैसे जरबेरा, जीनीया तथा गुलदाउदी में पोलीफेगाटार्सेनेमस लेटस माईट (Mite) का प्रकोप देखने को मिलता है। इसका प्रकोप सितम्बर से अक्टूबर माह में सर्वाधिक होता है। जब कि एंथुरियम, में लाल स्पाईडर माईट (Mite) (टेट्रानिकस अर्टीकी) तथा काली माईट (Mite) (ब्रेवीपाल्प्स फोनोसीस) का प्रकोप देखने को मिलता है। इन माईट (Mite) के शिशु तथा वयस्क पौधे के कोमल तथा वृद्धिशील भागों से रस चूसकर नुकसान करते है। इससे माईट (Mite) से ग्रस्त भागों तथा इसके बाद सम्पूर्ण पौधों का विकास रुक जाता है तथा किसान को भारी आर्थिक नुकसान होता है।

माइट्स किट के नियंत्रण के श्स्य एवं यांत्रिक विधि

  1. खेतो में नियमित भ्रमण कर निगरानी रखें। माईट (Mite) का प्रकोप सिमित क्षेत्रो में होता है अतः प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  2. खेत को खरपतवारों से सदा मुक्त रखना जरूरी है, क्योकि यह मुख्य फसल की अनुपस्थिति मे माईट (Mite) के लिए पोषक पौधों का कार्य करते हैं। सदैव फसल चक्र अपनाना जरूरी है।
  3. माईट (Mite) की प्रतिरोधक फसल किस्मो का उपयोग करना जरूरी है।
  4. नत्रजन उर्वरको का हमेशा सिफारिश के अनुसार ही प्रयोग करना चाहिये।
  5. आम में विकृती युक्त शाखाओं तथा पुष्पक्रम को काट करके नष्ट कर दें।
  6. नारियल में फलों को उतारने के बाद
  7. सुखी पत्तियों को भी काट कर अलग कर देना चाहिये। इसी प्रकार से माईट (Mite) ग्रस्त नारियल के फलों को भी सही स्थान पर डाल कर उनका नाश करना चाहिये इन्हें इधर-उधर नही फेकें ।

माइट्स  किट नियंत्रण के जैविक विधि

यदि माईट (Mite) के प्रकृतिक शत्रुओं की उपस्थिती देखने को मिले तो उनको कीटनाशक रसायनों से बचाना चाहिये। इसके लिये नीम आधारित दवाओं का प्रयोग करना अच्छा रहता है।

माइट्स किट नियंत्रण के लिए किटनाशक दवाई (रासायनिक विधि)

माईट (Mite) के नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 25 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करे। 10 मि.ली डायमेंथोएट 30 ई.सी., 25 मि.ली प्रोपरगाईट 57 ई.सी., इथियोन 50 ई.सी. या 10 मि.ली फेनाजाक्विन 57.5 ई.सी., 10 मि.ली स्पायरोमेसीफेन 240 एस.सी. में से किसी भी एक संर्वागी माईट (Mite)नाशी को 10 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करने से माईट (Mite) का प्रभावी रूप से नियंत्रण संभव है।

पायरेथ्रोईड समूह के कीटनाशकों जैसे कि साईपरमेथ्रिन, डेल्टामेथ्रिन, फेनवरलेट, आदि का प्रयोग नहीं करे, क्योंकि इस के कीटनाशकों का बार-बार प्रयोग करने से माईट (Mite) के प्रकोप में तेजी से वृद्धि होती है।

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