बांस की खेती हेतु पौध प्रवर्धन तकनीक – बांस की नर्सरी तैयार करने की विधि, किसान इसकी खेती से मोटी कमाई आसानी से कर सकते हैं Best of 2024

बांस की खेती हेतु पौध प्रवर्धन (छोटा पौधा तैयार करना) तकनीक

Introduction 

छत्तीसगढ़ बांस (Bamboo) की जैव विविधता के लिए जाना जाता है, जिसे घर की बाड़ी से लेकर मेड़ों पर लगाने की परम्परा है। छत्तीसगढ़ में कई प्रकार की  बांस (Bamboo) प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनको खाने से लेकर प्रतिदिन के विभिन्न कार्यकलापों के लिए उपयोग में लाया जाता है। खेत खलिहान से लेकर घर आंगन तक प्रत्येक कार्य में बांस से बनी चीजें प्रयुक्त की जाती है। घरेलू सामान, कृषि उपकरण, मछली पकड़ने, इत्यादि में बहुतायत से उपयोग होता है।

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बांस की खेती

 

इसके अलावा पोषक तत्वों से भी परिपूर्ण होने के कारण इनका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है किन्तु इनका क्षेत्राच्छादन लगातार उपयोग से कम हो रहा है। अगर बांस का उत्पादन अपने प्रक्षेत्र से कर इनका उपयोग किया जाय तो भोजन व अन्य उपयोग से बांस संसाधन की कमी से जूझना नहीं पड़ेगा।

इसी को ध्यान में रखते हुए बांस की खेती हेतु बांस (Bamboo)का सरलीकृत संवर्धन तकनीक की जानकारी निम्नानुसार है :-

बांस की खेती हेतु प्रजातियाँ (Varieties of Bamboo)

  1. बम्बूसा वल्गेरिस (खुंदरकलिया)
  2. बम्बूसा न्यूटन्स (सीधा बॉस)
  3. बम्बूसा तुल्दा (इमारती बांस)
  4. बम्बूसा बठबोस (कटका बॉस)
  5. डेंड्रोकेलेमस स्ट्रीक्टस (लाठी बॉस) आदि का प्रवर्धन आसानी से किया जा सकता हैं।

बांस की खेती हेतु पौध प्रवर्धन विधि (Propagation of Bamboo)

  1. बांस (Bamboo) का प्रवर्धन मुख्य रूप से बीज या जड़ों के द्वारा होता है, किंतु जड़ का उपयोग प्रवर्धन में करने से मूल वृक्ष (मातृ वृक्ष) के उत्पादन में कमी आती है वहीं बीज द्वारा प्रवर्धन में बीज उपलब्ध नहीं हो पाता है। अतः तने द्वारा प्रवर्धन एक आसान विकल्प है।
  2. सर्वप्रथम उभार युक्त पर्व-सधि (गांठ) वाले तने का चयन करना चाहिए जो अत्याधिक आयु या अल्प-आयु भी नहीं हो।
  3. इसके पश्चात् दो पर्व-संधि वाले कटिंग के मध्य एक 1.0-1.5 सेमी. का छिद्र बनाकर उसमें साफ पानी भर देवें, फिर उसके छिद्र को मोम से बंद कर सेलो टेप से लपेटे और उस कटिंग को 2 इंच मिट्टी में दबाकर हल्की सिंचाई करें।
  4. 10-15 दिनों बाद उसके गांठों से कल्ले फूटने प्रारंभ हो जाएं तो आस पास में उग आये खरपतवारों की निंदाई गुड़ाई कर दें।
  5. जब तने के नीचे से जड़ निकलकर बढ़ने लगे, तब इन बाइनोडल वाली कटिंग को बाहर निकालकर मध्य से काट दें तथा दोनों गांठों को अलग कर लें और दो अलग-अलग पोलिथिन बैगों में रोपण कर दें।
  6. पोलिथिन बैग को एक भाग मिट्टी, एक भाग गोबर खाद व एक भाग रेत से तैयार बैग में भरें। इसके लिए बड़े आकार के पोलिथिन बैग का उपयोग आवश्यक है, क्योंकि लम्बे समय तक वर्धन की जरूरत होती है।
  7. पोलिथिन बैग में इन कटिंग्स को लगभग 30-40 दिनों बाद लगायें ताकि इनकी जड़ें पूर्ण रूप से प्रसारित हो सके। इसके उपरांत 30 दिन बाद मुख्य प्रक्षेत्र में पौधों का रोपण कर सकते हैं।

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