बकरी पालन कैसे करें ? कम लागत, में अधिक मुनाफा ( how to Goat Farming in Low Cost and Super Income (2023) )

बकरी पालन (Goat Farming)

Goat Farming
Goat Farming
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Goat Farming
बकरी पालन
बकरी पालन

बकरी पालन के विषय में गांधीजी ने बकरी को गरीब की गाय कहा है जो कि वर्तमान परिस्थितियों में सही साबित हो रहा है।  पहले जहां बकरी पालन का काम गांवों में  गरीब, भूमिहीन,, बेरोजगार लोगों तक ही सीमित था परंतु आज वर्तमान समय में बकरी पालन (Goat Farming) बड़े पैमाने पर farming का रूप ले चुका है । इस कारण बकरी पालन व्यवसाय में सफलता साफ नजर आती है।

बकरी पालन सहज एवं आसान (Goat Farming comfortable and easy )

बकरी एक छोटा पशु है इसे कम चारे एवं दाने की आवश्यकता होती है । जहां अन्य बड़े शरीर वाले पशु भूखे मर सकते हैं वहां बकरी अपना पेट आसानी से पाल लेती है । बकरियों को प्रतिदिन 150 से 300 ग्राम दानें  से अधिक की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसकी देखभाल की प्रक्रिया भी बड़ी सरल एवं सुगम है ।

Goat is Gold

बकरी की तुलना सोने से की गई है क्योंकि जिस प्रकार सोने को  कहीं भी, कभी भी बेचकर नगद पैसा प्राप्त किया जा सकता है उसी प्रकार बकरी को भी मुंह मांगी कीमत पर कभी भी विक्रय कर नगद  धन प्राप्त कर सकते हैं । बकरियों की सिंग  को छोड़कर उनके समस्त अंगों को बाजार में अलग-अलग दामों पर विक्रय किया जाता है । इसके अलावा बकरी मरने के बाद भी अपने मालिक को पैसा देकर जाती है ।

बकरियों की प्रजाति (variety of goats )

हमारे देश में बकरियों की बहुत से नस्लें पाई जाती है जो कि अलग-अलग क्षेत्र, जलवायु के अनुरूप बकरियों का चयन कर उनसे दूध, मांस, मोहरे, पशमीना तथा चमड़ा प्राप्त किया जाता है ।

बकरी पालन (Goat Farming) का विडिओ का लिंक

  1. https://youtu.be/kUlg-2GuFWI

  2. https://youtu.be/VesI2rDroYk

  3. https://youtu.be/eG5hXxK5ykM

सिरोही एवं सोजात:- इस नस्ल की बकरियां राजस्थान एवं पाकिस्तान की सीमावर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है । इनकी कद-काठी बहुत ही मजबूत होती है।  इस नस्ल की बकरियों में ठंडी  एवं गर्मी  के प्रतिकूल मौसम को सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है।  इनके जीने का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान के मरुस्थल में भी यह अपना पेट आसानी से भर लेती है ।

बकरियों की विशेषताएं (Characters of Goat)

  • मादा बकरियां 6 माह में ही प्रजनन योग्य हो जाती है ।
  • हर बार औसतन एक से 3 बच्चे जन्म देती है ।
  • इनके बच्चे छह माह में ही प्रजनन के लिए तैयार हो जाते हैं ।
  • प्रति बकरी को रखने के लिए 5 x 2 वर्ग फीट की जगह पर्याप्त होती है ।
  • इन इन बकरियों को चराई के अलावा खुले बाड़े एवं खूंटी से भी बांधकर पाला जा सकता है ।
  • जन्म के 6 से 8 माह में ही इन बच्चों को विक्रय किया जा सकता है ।
  • 6 माह में बच्चों का औसतन वजन 30 से 35 किलोग्राम तक हो जाता है ।
  • उचित देखभाल एवं संतुलित भोजन दिए जाने पर नर – बच्चों का वजन 60 एवं मादा का 50 किलोग्राम तक हो जाता है
  • इन्हें किसी भी स्थान जैसे घर, कमरा।  फार्म या घर की पीछे बचे  स्थान में रखा जा सकता है ।
  • बकरियां सभी प्रकार के झाड़ियां एवं पेड़ों के पत्ते को खाकर अपना पेट भर लेती है ।
  • इनको एक समय संतुलित आना खिलाकर भी पाला जा सकता है ।
  • बकरियों में अन्य पशु की अपेक्षा प्रजनन क्षमता अधिक होती है ।
  • एक उन्नत नर बकरा 30 से 35 मादाओं के साथ प्रजनन कर सकता है ।
  • बकरियों के नवजात बच्चे जन्म लेते ही अपने पैरों पर खड़े होकर मां का दूध पीने लगते हैं । इसीलिए बकरियों के बच्चों में मृत्यु दर 5 % आकस्मिक होती है ।
  • जन्म लिए बच्चों को 1 माह पश्चात 100  से 150  ग्राम दाने की आवश्यकता होती है ।

कंपनी द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं

बकरी पालन के लिए कई कंपनी काम कर रही है , जो कई प्रकार से सुविधाएं देती हैं जैसे:-

  • कंपनी बकरी के जीवित स्वस्थ बच्चों को 250-350 रुपए प्रति किलो की दर से स्वयं ही खरीद ली जाती  है ।
  • सभी अलग-अलग यूनिट कंपनियों में कंपनी द्वारा 1 वर्ष की नि:शुल्क बीमा सुविधा उपलब्ध  कराई जाती है ।
  • सभी अलग-अलग कंपनियों में बकरियों को पहुंचाने एवं बच्चों को लाने की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ।
  • अलग-अलग कंपनियों के द्वारा डॉक्टर की नि:शुल्क चिकित्सकीय सुविधा दी जाती है।
  • बीमा युक्त पशु के मृत्यु पश्चात क्षति पूर्ति या नए पशु प्रदान करने की सुविधा इत्यादि।

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व्यवसाय कैसे आरंभ करें(How to Start Goat Farming Business):

  • अलग-अलग कंपनी के हिसाब से अलग-अलग रजिस्ट्रेशन फीस होता है जैसे कि 2500 से 3000 की रजिस्ट्रेशन फीस के साथ दो फोटो बिजली बिल परिचय पत्र की छाया प्रति कंपनी में जमा करना होता है ।
  • कंपनियों में जितनी भी यूनिट लेना हो उसका 75% राशि एडवांस जमा करना होता है ।
  • बाकी शेष राशि ट्रेनिंग के समय कंपनी में जमा करना अनिवार्य होता है । कंपनियों के द्वारा बकरी पालन की ट्रेनिंग भी उसी पैसे में उपलब्ध कराई जाती है । यूनिट की राशि जमा होने के 30 दिनों में कंपनी आपके बताए हुए स्थान तक जानवर पहुंचा कर देती है अलग-अलग कंपनी के हिसाब से यह दिन कम ज्यादा हो सकता है ।
  • बकरी पालन में अच्छी नस्ल का चयन करना बहुत ही आवश्यक होता है । देसी नस्ल की बकरियां बहुत अच्छी होती है लेकिन इनका बढ़वार कम होता है और इनका उत्पादन भी बहुत कम होता है उन्नत किस्म के तुलना में । लेकिन देसी बकरियों का रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छा होता है ।
  • देसी बकरियों को बांधकर के नहीं खिलाया जा सकता उनको घुमाना बहुत जरूरी रहता है जबकि उन्नत किस्म के बकरियों को बांधकर खिलाने पर भी उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और उत्पादन अच्छा देता है और उनका बड़वार भी बहुत अच्छा होता है । इस प्रकार goat farming एक फायदे का व्यवसाय है।

 

 

 

 

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