बकरीयों का पोषण / भोजन और उसमें जरूरी 12 सावधानीयाँ

बकरीयों  का पोषण

बकरियों के पेट के चार भाग होते है जिनके नाम है रूमेन, रेटीकुलम, ओमेसम एवं एवोमेसम। बकरी जुगाली करने वाली पशु है जो घास व कृषि अवशेष जो कि मनुष्य उपभोग नहीं करता उसे दूध व मांस के रूप में तब्दील करते है।

बकरी सामने के पैर को खडे करके ब्राउसिंग करती है। बकरियों को हमेशा खाने की आदत होती है। सामान्यतः बकरियां एक दिन में साढ़े तीन से लेकर चार किलो तक हरा चारा खाती है। बकरियों को हरा चारा खिलाने से दाने की बचत की जा सकती है।

आमतौर पर यह माना जाता है कि बकरी द्वारा चरे जाने पर पौधों की बाढ़ रूक जाती है, यह धारणा गलत है, क्योंकि बकरी किसी पौधे को पूरी तरह से नहीं चरती बल्कि केवल कुछ पत्तियों ही चुनकर खाती ।

इसमें पौधे की शाखाओं की सामान्य से अधिक वृद्धि होती है। कुछ क्षेत्रों में तो चने के खेतों से बकरियों को चरने के लिए बकायदा आमंत्रित किया जाता है, ताकि अधिक से अधिक शाखाओं का फैलाव हो तथा चना उत्पादन में वृद्धि की जा सकें ।

सावधानियाँ

1. एक ही चारागाह में बकरियों को ज्यादा समय तक चरने नहीं देना चाहिए, ऐसा करने से उन्हें कृमि रोग हो सकता है।

2. बकरियां ठंड और बरसात सहन नहीं कर पाती, अतः अधिक ठंड में धूप के समय चरने के लिए भेजना चाहिए। बरसात में गीली जगह, दलदल में चराई नहीं कराना चाहिए।

3. बीमार बकरी को चरने नहीं भेजना चाहिए।

4. गर्भावस्था के अंतिम दो सप्ताह व बच्चा जनने के दो सप्ताह तक चरने नहीं भेजना चाहिए ।

5. नियंत्रित प्रजनन के लिए बकरी व बकरे को साथ में चरने नहीं भेजना चाहिए या उन्नत नस्ल के बकरों को साथ भेजना चाहिए ।

6. बकरियों को चराने के लिये छोड़ना बहुत जरूरी है। उनको हर दिन 6 से 7 घंटा चरायें।

7. हर रोज बकरी जाने के बाद कोठे की सफाई करें।

8. जहां बकरियां को चरने के लिये छोड़े उस जगह को पहले से देखकर निश्चित कर ले कि वहां बकरी के चरने के लिये पर्याप्त चारा हो ।

9. बकरियां और बड़े जानवर साथ-साथ न चरायें ।

10. बकरियों को छोड़ने से पहले दाने की आधी मात्रा खिलायें और बकरियां वापस आने के बाद आधी मात्रा दें ।

11. जिन बकरों का वजन कम हो, और जिनकी बाढ बराबर न हो। ऐसे बकरों का अपने पशु चिकित्सक के सहायता से खस्सी करवायें ।

12. बरसात के दिनों में बकरियों को सूखा चारा जैसे चना कुटार, तुवर का कुटार, 400 से 500 ग्राम प्रति बकरी के हिसाब से खाने के लिये दें।

बकरियों का पोषण / भोजन प्रबंधन

बकरियों के चरने एवं खान-पान का व्यवहार अन्य पशुओं की तुलना में अति विशिष्ट होती है। मुख की विशिष्टता बनावट उसे कांटेदार पत्तियां चरने में मदद करती है। बकरियां खाने में बड़ी नखरेवाली होती है।

जो चारा एक बकरी को पसंद है वह दूसरी को नापसंद हो सकता है। पैरों द्वारा रौंदा गया मिट्टी लगा चारा खाने के बजाए वे भूखी रहना पसंद करती है। अन्य पशुओं के विपरित बकरियां कम नमी युक्त चारे पर आश्रित रहना पसंद करती है।

बकरियों का खान-पान धीरे-धीरे बदलना चाहिए । अधिक दुध व मांस उत्पादन हेतु दुधारू, गाभिन बच्चे तथा प्रजनन के काम आने वाले बकरों आदि को उनके वजन व उत्पादन के अनुसार संतुलित दाना-चारा तथा अन्य पोषक तत्व के साथ उचित मात्रा मे खनिज लवण नियमित रूप से देना चाहिए।

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