नैनो डीएपी क्या है ? सरकार क्यों इस खाद को इतना ज्यादा प्रोमोट कर रही है। जानिए पूरी जानकारी।

नैनो डीएपी (तरल)

नौनो डीएपी (तरल) में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के नैनो समूह को बायो- पॉलीमर और अन्य अनुद्रव्यों के द्वारा क्रियाशील किया गया है। नैनो डीएपी (तरल) अच्छी तरह से पत्तियों एवं बीज / जड़ की सतह पर फैल जाता है और पौधों द्वारा सहज उपयोग में लाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप बीज की ओज शक्ति में वृद्धि होती है, क्लोरोफिल अधिक बनता है, प्रकाश संश्लेषण अधिक होता है तथा फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है।

नैनो डीएपी (तरल) एक विशिष्ट नैनो उर्वरक है इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा दी गई अनुशंसा अनुसार नैनो डीएपी के 5 मि.ली. / लीटर द्वारा जड़ अथवा 5 मि.ली./कि.ग्रा. बीज उपचार के साथ फसलों की क्रांतिक अवस्था में एक पर्णीय छिड़काव करने से 25 प्रतिशत पारंपरिक उर्वरक (यूरिया तथा डीएपी) की बचत की जा सकती है। धान, गेहूं, तिलहन मोटे आनाज (मक्का) एवं पोषक अनाज (रागी, कोदो, कुटकी) में प्रति हेक्टेयर 2500 मि.ली. नैनो डीएपी तथा दलहन में 1250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर नैनो डीएपी की आवश्यकता होगी।

सामान्यतः नाइट्रोजन उर्वरक का 30% – 40% और फॉस्फेटिक उर्वरक का 15% -20% भाग ही पौधों द्वारा उपयोग में आता है तथा शेष भाग अनुपयोगी रहता है न नष्ट हो जाता है।

नैनो डीएपी (तरल) का फसल पर सही और सुरक्षित प्रयोग करने से पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए, पौधों को आवश्यक पोषण प्राप्त होता है।

नैनो डएपी तरल के फायदे

नौनो डीएपी (तरल) सभी फसलों के लिए नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस प्रदान करने का प्रभावी स्त्रोत है। इसके प्रयोग से खड़ी फसलों में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की कमी दूर होती है।

अनुकूल परिस्थितियों में उपयोग दक्षता 90% से अधिक है।

इसका प्रयोग सीड प्राइमर के रूप में जल्दी अंकुरण एवं पौधा विकास के लिए तथा उपज एवं गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक है।

नैनो डीएपी (तरल) स्वदेशी उत्पाद है तथा सब्सिडी रहित उर्वरक है।

परम्परागत डीएपी से सस्ता होने के कारण यह किसानों के लिए किफायती है।

इसके प्रयोग से परम्परागत फॉस्फेटिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से हाने वाले मिट्टी जल एवं वायु प्रदूषण में कमी आएगी।

यह जैव सुरक्षा एवं पर्यावरण हितैषी उत्पाद है तथा विष मुक्त खेती के लिए उपयुक्त है।

इसका संग्रहण, भंडारण एवं परिवहन आसान होता है।

नैनो डीएपी (तरल) की मात्रा स्प्रेयर के अनुसार निम्नलिखित है:-

नैपसेक स्प्रेयर :-

नैनो डीएपी (तरल) के 3-4 मि.ली. / लीटर पानी का प्रयोग करें। सामान्यतः एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव हेतु 8-10 टंकी (15-16 लीटर की टंकी) का प्रयोग होता है।

पावर स्प्रेयर :-

नैनो डीएपी (तरल) के 4-5 मि.ली. / लीटर पानी का प्रयोग करें। सामान्यतः एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव हेतु 4-6 टंकी (20-25 लीटर की टंकी) का प्रयोग होता है।

ड्रोन :-

नैनो डीएपी (तरल) की 250 – 500 मि.ली. की मात्रा ड्रोन द्वारा एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव हेतु उपयुक्त है। सामान्यतः एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव हेतु 10-20 लीटर पानी का प्रयोग होता है।

सामान्य जानकारी

नैनो डीएपी (तरल) का घोल बनाने हेतु साफ पानी का प्रयोग करें।

स्प्रेयर से छिड़काव हेतु फ्लैट फैन या कट नोजल का प्रयोग करें।

सुबह या शाम के समय छिड़काव करें जब पत्तियों पर ओस के कण ना हो और अच्छे से अवशोषण हो सके।

यदि छिड़काव से 12 घंटे के अंदर बारिश हो जाए तो पुनः छिड़काव करे।

यदि छिड़काव से 12 घंटे के अंदर बारिश हो जाए तो पुनः छिड़काव करे।

नैनो डीएपी (तरल) को सभी जैव-उत्प्रेरक, नैनो उर्वरक जैसे नैनो यूरिया (तरल), शत प्रतिशत जल-विलेय उर्वरक एवं अन्य कृषि रसायनों के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है परन्तु छिड़काव से पूर्व अनुकूलता (Compotibility) जानने हेतु जार परीक्षण अवश्य करें।

नैनो डीएपी (तरल) जैय सुरक्षित है और इसके संघटक GRAS (Generally Recognized as Safe) एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप है।

यह जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) भारत सरकार द्वारा अनुशंसित नैनो आधारित कृषि इनपुट उत्पादों 2020 के मापदंडों के भी अनुरूप है।

नैनो डीएपी उपयोग में सावधानियाँ

उत्पादन तिथि से 24 महीनों के अंदर प्रयोग करें। • छिड़काव के समय मास्क व दस्ताने पहने। • ठंडे व सूखे स्थान पर भंडारण करें।

बच्चों व पालतू जानवरों की पहुँच से दूर रखें।
(जानकारी स्त्रोत- इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड इफको)

इसका भंडारण नमी रहित ठंडे स्थान पर करें और बच्चों एवं पालतू जानवरों की पहुंच से दूर रखें।

छत्तीसगढ़ में धान बोनस 25 दिसंबर को आएगी।

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