नीलगाय भगाने का उपाय Best @2024

नीलगाय भगाने का उपाय (Blue Bull)

हिरण वर्ग का सबसे बडा एवं शक्तिशाली जानवर हैं। यह राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं गुजरात में अधिक संख्या में पाये जाते है। अधिकांशतः यह समुह मे मिलते है। इनमें समुह दो प्रकार के होते है, एक समुह जिनमें नर, मादा एवं बच्चों साहित 3 से 20 सदस्य होते है जबकि दुसरे प्रकार के समुह में 2-8 की संख्या में सभी नर पाये जाते हैं।

नीलगाय का पहचान

वास्तव में नीलगाय इस प्राणी के लिए उतना सार्थक नाम नही है क्योंकि इनमें मादाएं भूरे रंग की होती है। नीलापन केवल वयस्क नर में पाया जाता है। वह स्लेटी रंग अथवा धूसर नीले रंग का जानवर होता है। इनमें आगे के पैर पिछले पैर को तुलना में अधिक लंबे और बलिष्ठ होते है जिससे उनकी पीठ पीछे की तरफ ढलुआं होती है। नर और मादा की गर्दन पर बाल होता है।

नरों की गर्दन पर सफेद बालों का एक लम्बा एवं सघन गुच्छा रहता है और पैरों पर घुटनों के नीचे सफेद पट्टी होती है। केवल नरों में छोटे, नुकीले सींग होते है जो लगभग 20 सेमी. लम्बे होते है। नीलगाय ऊँचे कद और भारी – भरकम शरीर वाली होती है। वयस्क की औसतन लम्बाई 2 मीटर एवं ऊँचाई 1.5 मीटर तक होती है। इनका वजन 250 किलो तक होता है। मादाएं नर की तुलना में कुछ छोटी होती है।

नीलगाय से फसल हानि

नीलगाय एक शाकाहारी प्राणी है और यह स्वंय को परिस्थितियों के अनुरूप ढाल लेते है। यह सूबह व शाम के समय चराई करते है जबकि दिन के समय में किसी सुरक्षित स्थान पर विश्राम करते है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, और मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में इन्होने आंतक फैला रखा है। नीलगाय द्वारा फसलों की चराई और फसलों को रोदने के कारण किसानों को बहुत हानि होती है। वैसे यह सभी फसलों को नुकसान पहुँचाते है, परन्तु चना, गेहूँ और, मूगं की फसलें इन्हे अधिक प्रिय है। एक अध्ययन के अनुसार नीलगाय से फसलो में न्यूनतम 10 प्रतिशत और अधिकतम 75-80 प्रतिशत तक हानि होती है। इनकी बढ़ती संख्या के कारण यह कृषि फसलों के मुख्य पीडक बन गये है।

नीलगाय भगाने का उपाय

नीलगाय से कृषि फसलों को सुरक्षित रखने के सामान्य उपाय में फसलों की नियमित निगरानी रखना है। राजस्थान एवं हरियाणा में किसानों के 4-5 सदस्यों के समुह रात में खेती की रखवाली करते हैं।

पंजाब व राजस्थान में सरकार ने किसानों की मांग और इनके आंतक को देखते हुए नीलगाय के शिकार पर प्रतिबंध सम्बन्धी नियम में छुट प्रदान की है।
खेतों के चारों और ऊँची बाढ़ लगाकर फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।

प्रतिक्षित कुतों ही सहायता से इन्हे खेत से दूर रखा जा सकता है, क्योकि कुतों के भोंकने पर यह दूर चले जाते है। साथ ही रखवाली करने वाले कृषक भी सतर्क हो जाते है।
वन्य प्राणी सुरक्षा अधिनियम और कृषकों विषेशतः विशनोई समाज और आदिवासी समुदायों की नीलगाय के प्रति आस्था के कारण इनके शिकार पर प्रतिबन्ध है। वन विभाग के माध्यम से नीलगाये के समूह को पकड़ कर वनो में सुरक्षित स्थानों पर स्थानान्तरित किया जा सकता है। इस तरह नीलगाय भगाने का उपाय किया जा सकता है।

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