जई की वैज्ञानिक खेती(Cultivation of Oat) कैसे करें
General Introduction Oat Crop
इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही हरे चारे और सूखे चारे दोनों के रूप में किया जाता है । इससे अच्छे गुणों वाला साइलेज भी तैयार किया जाता है । जानवरों के चारे के लिए जई का महत्वपूर्ण स्थान है । जई में कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है ।
वर्तमान समय में oats खाना trend हो रहा है। मुख्य रुप से जिसको मोटापा का समस्या या जो dieting करना चाह रहे हों या कर रहे हो ओ दिन में oats खाना ज्यादा पसंद करते है। इसक प्रमुख कारण इसका बहुत अच्छा स्वाद , सुपाच्या होना और बहुत अच्छा nutrient value होना है।
जई की फसल से दाना भी प्राप्त किया जाता है जिसका प्रयोग मुख्य रूप से पशुओं व मुर्गियों के चारे के लिए किया जाता है ।
भूमि एवं जलवायु
बलुई दोमट से लेकर भारी मराठी दोमट भूमि में जई की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है । भूमि में जल निकासी का प्रबंधन होना चाहिए एवं अपेक्षाकृत ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है । सभी सिंचित स्थानों पर जहां गेहूं की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है जई को भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है । उच्च तापक्रम एवं सूखे की स्थिति में जई की खेती नहीं की जा सकती ।
खेत की तैयारी
पहली जुताई गहरी मिट्टी पलटने वाले हल से व तीन से चार जुताई हैरो कल्टीवेटर या देशी हल से करते हैं । प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाना आवश्यक है । जिससे मिट्टी भुर्भुरे एवं नरम हो जाये।
खाद उर्वरक
चारे की फसल के लिए 80 से 100 किलोग्राम नाइट्रोजन व 40 से 60 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर देना आवश्यक है । नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फास्फोरस की पूरी मात्रा बुवाई के समय तथा नाइट्रोजन की 1/4मात्रा होने के 25 दिन बाद पहली सिंचाई के समय तथा शेष 1/4 भाग पहली कटाई के बाद डालना चाहिए । दाने की फसल के लिए 80 किलोग्राम नाइट्रोजन तथा 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है ।
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बुवाई का समय(Time of sowing)
इसकी बुआई अक्टूबर से दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक की जाती है । फसल की बुवाई जितनी शीघ्र की जाती है उतनी ही अधिक कटाई और अधिक उपज प्राप्त होती है ।
बीज की मात्रा(Amount of seed)
चारे की फसल के लिए बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा दाने के लिए 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है ।
बुवाई की विधि(Sowing method)
जई को छिड़कावा विधि तथा पंक्तियों में बुवाई विधि से बोया जा सकता है ।
सिंचाई (Irrigation)
बुवाई के समय मृदा में उपस्थित नमी के आधार पर जल की फसल में पहली सिंचाई बुवाई के 25 दिन बाद की जाती है । इसके बाद की सिंचाई 15 से 20 दिन के अंदर पर की जाती है ।
खरपतवार नियंत्रण (weed control)
फसल में निदाई गुड़ाई की ज्यादश्यज्यादा आवश्यक नही होती है। क्योंकि फसल की वृद्धि अधिक होने के कारण खरपतवार वृद्धि ही नहीं कर पाते ।
कटाई प्रबंधन एवं उपज (Harvest Management and Yield of oat)
पहली कटाई 50% फूल आने पर काटने से अधिकतम उपज प्राप्त होती है । यह अवस्था बुवाई के बाद 55 से 60 दिन में आ जाती है । इस समय पर पौधे 60 से 65 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाते हैं । दूसरी कटाई पहली कटाई के 30 से 35 दिन बात करते हैं । तीसरी कटाई बीज के पकने पर मई में कर लेते हैं । इससे चारे के साथ-साथ दाना भी प्राप्त हो जाता है । हरे चारे की उपज 30 से 45 टन /हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है ।
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