चूहा मारने की दवाई , चूहों का जीवन चक्र । चूहा प्रबंधन । बचाव के उपाय।

चूहा मारने की दवाई (Rat Control Pesticides)

गिलहरी, सेही, आदि स्तनधारी समुदाय को रोडेन्शिया के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया है। इन प्रणियों का शरीर मुलायम बालों से ढका रहता है और ये कुतरकर खाते है। गण रोडेन्शिया के 35 कुलों में चुहो की 1700 प्रजातियाँ सम्मिलित है जो कुल स्तनधारी प्राणियों का लगभग 40 प्रतिशत है। 1700 प्रजातियों मे 150 प्रजातियाँ हानि पहुँचाने | वाली है जिसमें से केवल 20 प्रतिशत ही आर्थिक महत्व की है।

चुहों से होने वाले नुकसान

चुहे फसल बुआई से लेकर भण्डारण तक भारी नुकसान पहुँचाते है। चूहों द्वारा एक लाख टन खाद्यान्न प्रतिवर्ष नष्ट किया जाता हैं, साथ ही जितना अनाज खाते है, उसका 20 गुना अनाज वह अपने मलमूत्र द्वारा खराब कर देते है जिससे वो खाने योग्य नही रहता है। चुहे मुनष्यो में 35 से अधिक घातक बिमारियों जैसे प्लेग, लेप्टोस्पाइरोसिस आदि के वाहक होते है। खेतों में इनके प्रकोप से बीजो का अकुंरण कम हो जाता है, पौधे सुख जाते है, खेतो में व सिंचाई की नालियों में बिल बनाकर यह नुकसान पहुचांते है।

प्रारम्भिक अवस्था में बाजरा, मक्का, ज्वार, अरहर, मुँग, सोयाबीन, सुरजमुखी, मूंगफली, बेर, नारियल आदि फसलें चूहों द्वारा नष्ट की जाती है जबकि धान, गेहुँ, दलहनी और सब्जियाँ पकने की अवस्था पर चूहों द्वारा क्षतिग्रस्त की जाती है। गेहूँ की फसल गुजरात मे 2.7 प्रतिशत तथा राजस्थान में 21.3 प्रतिशत तक की हानि ऑकी गई है। सम्पूर्ण भारत में धान की फसल में औसत क्षति 3.28 से 24.4 प्रतिशत तक देखी गई है। कुछ फसलो जैसे अरहर, सूर्यमुखी, ज्वार तथा मक्का में बोये गये बीज में 50 से 80 प्रतिशत तक का क्षति पहुचाई जाती है। मूँगफली के खेत मे यदि 15 आबाद बिल प्रति हेक्टेयर है तो यह समझना चाहिए की इनकी संख्या आर्थिक हानिस्तर (E.T.C.) तक पहुँच गई है।

चूहों का जीवन चक्र

चूहों में 3 माह की चुहिया में प्रजनन क्षमता विकसित हो जाती है। जिनकी गर्भावधि 3 सप्ताह की होती है। एक मादा औसतन साल में 4-6 बार तथा एक प्रसव में 6-8 बच्चों को जन्म देती है। अनुकुल परिस्थितियों में एक वर्ष में एक जोड़ा 800-1200 सदस्यों का परिवार बनाता है। इस तरह चुहों में बच्चे पैदा करने की विशाल क्षमता के कारण इन्हे नियन्त्रण करना एक चुनौती है। चूहों में प्रजनन वर्ष भर चलता है, परन्तु जनवरी से मार्च तथा सितम्बर से अक्टूबर का समय उपयुक्त पाया जाता है।

चूहा प्रबधंन के उपाय

चुहा नियन्त्रण (Rat Control) की अनेक विधियाँ प्रचलित है, परन्तु कोई भी एक विधी प्रभावशाली सिद्ध नही हुई है। क्योकि चूहों में चखने, सूंघने, सुनने तथा गर्मी एवं आर्द्रता का ज्ञान अधिक होता है। इनको नियन्त्रण करना एक जाटिल एवं चूनौतिपूर्ण कार्य है, क्योकि यह बहुत चालाक व शंकालू जीव है। जहर रखने पर कुछ चूहों को मरता हुआ देख इनमें प्रजाति के खत्म होने की शंका पैदा हो जाती है। इस कारण से इनका ध्यान प्रजनन की और केन्द्रित हो जाता है। जिससे यह
जनसंख्या को कुछ ही समय मे कई गुना बढ़ा देते है।

चुहा नियन्त्रण (Rat Control) की योजना बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसे एक अभियान की तरह पूरे गाँव में एक साथ सब किसानों को करना चाहिए तथा लगभग 90 प्रतिशत आबादी को खत्म करना चाहिए।

चूहा निरोधक उपाय

घरों, गोदामों, भण्डारों में चूहों को नही घुसने दिया जाए तो चूहों से बचा जा सकता है। गोदाम बनाते समय ध्यान रखें की गोदाम आबादी से दूर बनाए व नींव तीन से चार फुट गहरी व दिवारें ऊँचाई पर होनी चाहिए। गोदाम का फर्श सीमेन्ट का बना होना चाहिए। रोशनदान व नालियों पर गेज चद्दर लगी होनी चाहिए। दरवाजे के नीचे की तरफ 10 इन्च की धातु की पत्ती लगी होनी चाहिए। बिल नजर आते ही उसे कॉच एवं सीमेन्ट मिलाकर बन्द करना चाहिए। खाद्यान्न को खुला नही छोड़ना चाहिए व समय-समय पर गोदाम का निरक्षण करना चाहिये। अनाज की बोरियों को 15 से.मी. ऊँचाई पर लकड़ी के क्रेट पर रखें। गोदामों के पास कूडें कचरे, कडप, लकड़ी, पत्थर, ईटों के देर नहीं लगायें। घरों में चूहों को पकड़ने हेतु पिंजरों का प्रयोग करें।

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चूहा मारने की दवा – अगर आप भी परेशान हैं फसलों में चूहों से तो अपनाए ये tricks @2024

 

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